नश्वर जग
तुम नित्य सदा से
मैंने ये पाया
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तुम निष्पक्ष
आज अराजक है
ये जग जब
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दयावान तू
उबे,थके,दुखी के
कर गहती
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छिद्र बहुत
जग ने कर डाले
गले लगा ले
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नौका पाई थी
भव से तरने को
इसे नसाया
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ये रिश्ते नाते
हैं लक्ष्य मे बाधक
तू मिलवा दे
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तुझे दुलारूं
मृत्यु प्रिया जाने क्यूं
सब डरते
-विन्दु
बहुत ही बेहतरीन हाइकू वन्दना जी,आपको भी होली की अग्रिम शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteआपको भी ढेरो शुभकामनाए होलिकोत्सव की।
ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए सादर आभार आपका।
सुन्दर हाइकू!
ReplyDeleteThank you!
ReplyDeleteअति सुंदर
Deleteकम शब्दों में क्या कुछ नहीं कह दिया .
ReplyDeleteनश्वर जग
तुम नित्य सदा से
मैंने ये पाया
यही सबसे बड़ा सत्य है .
प्रणाम
विजय