मेरा संदेश है यह,
कठिन परिवेश है यह,
समस्या की घड़ी है
मेरे आगे खड़ी है।
जो तू न जाग पाया
क्या होगा हाथ आया!
जरा सा जान खुद को,
जरा पहचान खुद को,
तू अप्रतिम एक योद्धा
तो फिर किस भाँति सुविधा!
कदम भर बस बढ़ा दो...
न जागे हो तो जाग जाओ।।
दिया क्या तूने जग को
न ये कर सोंच मन में
तू कर कुछ काम ऐसा
न हो फिर कभी जैसा
ये पथ तेरे लिए है
तू इस पथ का पथिक है
न रुक तू एक भी क्षण
हो बस तेरा यही प्रण
यही बस आस सबको
दिया क्या तूने जग को हो
उत्तर यदि सुना दो
न जागे हो तो जाग जाओ....
- गोविन्द बाजपेई
कठिन परिवेश है यह,
समस्या की घड़ी है
मेरे आगे खड़ी है।
जो तू न जाग पाया
क्या होगा हाथ आया!
जरा सा जान खुद को,
जरा पहचान खुद को,
तू अप्रतिम एक योद्धा
तो फिर किस भाँति सुविधा!
कदम भर बस बढ़ा दो...
न जागे हो तो जाग जाओ।।
दिया क्या तूने जग को
न ये कर सोंच मन में
तू कर कुछ काम ऐसा
न हो फिर कभी जैसा
ये पथ तेरे लिए है
तू इस पथ का पथिक है
न रुक तू एक भी क्षण
हो बस तेरा यही प्रण
यही बस आस सबको
दिया क्या तूने जग को हो
उत्तर यदि सुना दो
न जागे हो तो जाग जाओ....
- गोविन्द बाजपेई
Beautiful!
ReplyDeleteजी बिल्कुल!
ReplyDeleteहमसे जुड़ने के लिये आपको धन्यवाद.
-विन्दु