परिवर्तन है सत्य सदा
अपनाना इसको सीखे।
इसमे ही है नव-जीवन
नूतन पथ बुनना सीखें।।
नूतनता खुशियों की जननी
उत्सव नित्य मनायें हम।
खुश रहकर कुसमय काटें,
समय से न कट जाएं हम।
जीवन-रंग सजाने को
नयन-अश्रु पीना सीखें।।
शोक,हर्ष,उत्थान-पतन
हमें तपा कुन्दन करते।
अगम सिन्धु की झंझा में
कर्म सदा नौका बनते।
निष्कामी आराधक बन
जग-वन्दन करना सीखें।।
प्राणि मात्र से प्रीति करें
प्रेम पात्र जो बनना है।
अब जग जा,ओ रे मन!
मग यदि सुगम बनाना है।
प्रीति सुमन की चाह अगर
जड़ सिंचित करना सीखें।।
परिवर्तन है..
-विन्दु
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट को हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल किया गया है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को हिंदी ब्लॉग समूह
ReplyDeleteपर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
बहुत बढ़िया कविता लिखी है आपने.
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति .... परिवर्तन को स्वीकारना ही चाहिए ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर…परिवर्तन ही शाश्वत है
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता, परिवर्तन ही जीवन को सुखमय बनाये रखने का सबसे बढिया पथ है 😊😊
ReplyDelete